Saturday, October 31, 2009

शब्द

अमेरिका की एक अभिनेत्री ग्रेट गरबो का नाम अपने सुना होगा |वह यूरोप केएक छोटे से देश में गरीब घर में पैदा हुई |और एक बल बनांने के सैलून में दाडी पर साबुन लगाने का कम करती रही |तब वह उन्नीस वर्ष की थी |दो पैसो में दाडी पर साबुन लगाने का कम करती रही|एक अमरीकी यात्री ने -वह उसकी दाडी पर साबुन लगा रही थी -आइने में उसका चेहरा देखा और कहा की आप बहुत सुंदर-बहुत सुंदर है ! ग्रेट ने उस से कहा क्या कहते है आप ?मुझे आज : वर्ष होगये लोगो की दाडी पर साबुन लगते हुए , किसी ने मुझे कभी नही कहा की मई सुंदर हूँ |आप कहते क्या है , मै सुंदर हु !उस अमेरिकन ने कहा की बहुत सुंदर !मैंने बहुत कम इतनी सुंदर स्त्रिया देखी है ग्रेट गरबो ने अपनी आत्मकथा में लिखा है , मै पहली दफा सुंदर हो गई |एक आदमी ने मुझे सुंदर कहा था ,मुझे ख़ुद भी ख्याल नही था |मै उस दिन घर लौटी और आइने के सामने खड़ी हुई और मुझे पता लगा की मै दूसरी औरत हो गई |
वह लड़की जो उन्नीस साल की उम्र तक दाडी पर साबुन लगाने का कम करती रही थी वह बाद में अमेरिका की श्रेष्तम अभिनेत्री साबित हुई ,और उसने जो धन्यबाद दिया उसी अमेरिकन को दिया जिसने उसे पहली बार सुंदर कहा था |उसने कहा की अगर उस आदमी ने वे दो शब्द कहे होते तो शायद मै जीवन भर वन्ही साबुन लगाने का काम करती रहती |मुझे ख्याल भी था की मै सुंदर हु ,और हो सकता है उस आदमी ने बिल्कुल ही सहज कहा हो,हो सकता है उस ने सिर्फ़ शिस्टाचार मै कहा हो और हो सकता है उस आदमी को ख्याल ही रहा हो , सोचा भी हो की यह क्या कह रहा हु बिल्कुल केजुअल रिमार्क रहा हो |और उसे पता ही हो किमेरे एक शब्द नेएक स्त्री के भीतर सौन्द्रय की प्रतिमा को जन्म देदिया |वह जाग गई ,उसके भीतर जी चीज सोई थी |