
जुआ खेलने में कोई संकोच नही होरहा उसे , अपने ही भाई कि पत्नी को नंगा करने में किसी को कोई संकोच नही हो रहा है , बीच सभा में और वंहा जो लोग बैठे है वे बडे विचारशील है धर्म के ज्ञाता है , वे भी बैठे देख रहे है |ये लोग अच्छे थे तो महाभारत क्यो होगया |इतना संघर्ष , इतना रक्तपात क्यो होगया , अच्छे लोग तो थे| अच्छे लोग एक मिथ्या , एक कल्पना , और कहानी है , नही तो बुद्ध ने किन लोगो को समझाया , महावीर ने किसको समझाया कि हिंसा मत करो , अगर लोग अहिंसक थे तो महावीर ढाई हजार साल पहले किसको समझा रहे थे कि चोरी मत करो , महावीर ने किसको समझाया कि हिंसा मत करो दूसरे कि स्त्री पर बुरी नजर मत रखो , लोग रखते होंगे तभी तो समझा रहे होंगे नही तो समझायेंगे कैसे अगर सारे लोग ब्रह्मचर्य को मानते थे तो ब्रम्हचर्य का उपदेस किसके लिए था , और अगर सारे लोग ईमानदार थे तो , ईमानदारी कि शिक्षाये हमारे ग्रंथो में लिखी हुई है , किसके लिए लिखी है |लोग बेईमान रहे होंगे , तब तो ईमानदारी कि बात लिखी है ग्रंथों में , नही तो कौन लिखता , जरुरत रही होगी जिन्दगी को कि ईमानदारी को सिखाये , लोग बेईमान रहे होंगे हत्यारे रहे होंगे , लोग चोर रहे होंगे तब तो ब्रह्मचर्य समझाया जा रहा है , अंहिंसा समझाई जारही है , और लोग एक - दूसरे से घ्रणा करते होंगे तब तो प्रेम के इतने उपदेश दिएगये , नही तो किसको दिए जाते |लेकिन भ्रम कुछ और बातो से पैदा होजाता है |हर युग में अच्छे लोग होते है उन अच्छे लोगो कि कथा बची रहती है , बाकि लोगो के जीवन का कोई हिसाब नही बचता |हमारे युग में गाँधी थे , दो हजार साल बाद हमलोग बैठे है , हमारी कोई कथा बची रहेगी , लेकिन गाँधी कि बची रहेगी |
और दो हजार साल बाद लोग गाँधी को कहेंगे कितना अच्छा आदमी था , उस युग के लोग कितने अच्छे रहे होंगे , गाँधी से वे सारे युग को तौल लेंगे ,जो बिल्कुल झूठी तौल होगी |
गाँधी अपवाद था नियम नही था और जब दो हजार साल बाद हमारी कोई कथा नही रह जायेगी और गाँधी कि कथा शेष होगी , तो गाँधी के आधार पर हम सबके बाबत जो निर्णय लिया जाएगा बिल्कुल झूठा होगा |हम तो गाँधी के हत्यारे है , लेकिन दो हजार साल बाद लोग कहेंगे कि गाँधी कितना अच्छा आदमी था , उस समाज के लोग कितने अच्छे रहे होंगे |तो हम राम , कृष्ण , बुद्ध और महावीर दो चार नामो के आधारों पर हम उस जमाने के लोगो के बारे में सोचते है जो सोचना बिल्कुल ग़लत है , बिल्कुल झूठ है |ये आदमी अपवाद थे नियम नही थे , जंहा तक सामान्य आदमी का सम्बन्ध है , आदमी विकसित हुआ है , उसका पतन नही हुआ है |
bahut achha likha hai lala
ReplyDeletebhut khoob......
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