
परमात्मा को केवल वे ही पा सकते है जो शांत होजो अशांत है वे कैसे पासकेंगेजो भी किसी की नक़ल में कुछ होना चाह रहा है ,वह अनिवार्यतयाअशांत हो जाएगा उसकी अशांति उसे परमात्मा आनंद पास नही पहुँचा सकेगी अगर जूही का फूल गुलाब होना चांहे , तो जैंसी बेचैनी और परेशानी में पड़ जायेंगे वैसी बेचैनी और परेशानी में हम पड़ जाते है , जब हम किसी का अनुकरण करते है इसलिए मैं कहना चाहता हु कि अनुकरण नही आत्मखोज मैंने फली बात आप से कही श्रधा नही, जिज्ञासा दूसरी बात कहना चाहता हूँ अनुकरण नही आत्न्खोज कोई किसी के लिए आदर्स नही है प्रत्येक व्यक्ति का आदर्स उसके अपने भीतर छिपा है ,जो उघाड़ना है , और उसे हम नही उघडते और किसी पीछे जाते है तो हम भूल में पड़ जायेंगे ,हम भटकन में पड़ जायेंगे और में आप से कंहू की आप लाख उपाय करे , आप कभी कृष्ण ,बुद्ध नही बन सकोगे -