Saturday, May 16, 2009

अनुकरण नही आत्मखोज....

जब भी मनुष्य किसी दूसरे जैसे होने की कोशिश करता है तभी वह अन्तः द्वंद में , एक कांफिलिक्ट में ,एक परेशानी में पड़ जाता है जो वह है वो उसे तो भूल जाता है और जो होना चाहता है उस की कोशिश पैदा करलेता है इस भांति उसके भीतर एक बेचैन ,एक अशांति और एक संघर्ष पैदा हो जाता है
परमात्मा को केवल वे ही पा सकते है जो शांत होजो अशांत है वे कैसे पासकेंगेजो भी किसी की नक़ल में कुछ होना चाह रहा है ,वह अनिवार्यतयाअशांत हो जाएगा उसकी अशांति उसे परमात्मा आनंद पास नही पहुँचा सकेगी अगर जूही का फूल गुलाब होना चांहे , तो जैंसी बेचैनी और परेशानी में पड़ जायेंगे वैसी बेचैनी और परेशानी में हम पड़ जाते है , जब हम किसी का अनुकरण करते है इसलिए मैं कहना चाहता हु कि अनुकरण नही आत्मखोज मैंने फली बात आप से कही श्रधा नही, जिज्ञासा दूसरी बात कहना चाहता हूँ अनुकरण नही आत्न्खोज कोई किसी के लिए आदर्स नही है प्रत्येक व्यक्ति का आदर्स उसके अपने भीतर छिपा है ,जो उघाड़ना है , और उसे हम नही उघडते और किसी पीछे जाते है तो हम भूल में पड़ जायेंगे ,हम भटकन में पड़ जायेंगे और में आप से कंहू की आप लाख उपाय करे , आप कभी कृष्ण ,बुद्ध नही बन सकोगे -

9 comments:

  1. मान्यवर, हिंदी ब्लॉगिंग जगत में आपका स्वागत है. आशा है कि हिंदी में ब्लॉगिंग का आपका अनुभव रचनात्मकता से भरपूर हो.

    कृपया मेरा प्रेरक कथाओं और संस्मरणों का ब्लौग देखें - http://hindizen.com

    आपका, निशांत मिश्र

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  2. हिन्दी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है.....

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  3. nirasha ko swayam par havi nhone de.asha hi jeevan hai.

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  4. मानव की सबसे बडी समस्या ये है कि वो आज तक यही निर्धारित नहीं कर पाया है कि उसकी खोज किस विषय में हैं.

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  5. अपने आप को खोजना सबके वश में नहीं, गुरु के अनुकरण में बुराई भी नहीं.

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