Thursday, September 10, 2009
छोटे मन से कोई बड़ा नही होता
छोटे मन से कोई बड़ा नही होता
टूटे मन से कोई खड़ा नही होता,
इसलिए तो भगवान कृष्ण को
शस्त्रो से सज्ज रथ पर चड़े
कुरुछेत्र के मैदान में खड़े अर्जुन को गीता सुनानी पड़ी थी |
मन हारकर मैदान नही जीते जाते
न मैदान जीतने से मन जीते जाते है |
चोटी से गिरने से अधिक चोट लगती हैं
अस्थि जुड़ जाती है पीड़ा मन में सुलगती है ,
इसका अर्थ यह नही कि
चोटी पर चड़ने की चुनौती ही न माने
इसका अर्थ यह भी नही कि
परिस्थिति पर विजय पाने कि न ठाने
आदमी जन्हा है वंही खड़ा रहे
दूसरे कि दया के भरोसे पड़ा रहे
आदमी को चाहिए वह जूझे परिस्थिति से लड़े ,
एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढे|
अ ब बाजपेयी
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