Saturday, June 13, 2009

माँ खादी की चादर दे दे ......

माँ खादी की चादर दे दे मैगाँधी बन जाऊंगा ,
सब मित्रो आनंद बीच बैठ कर रघुपति राघव गाऊंगा;
माँ खादी की चादर दे दे मैगाँधी बन जाऊंगा
छूत अछूत नही मानूंगा सब को अपना ही जानूंगा ,
एक मुझे तू लाठी लादे टेक उसे बढजाऊंगा ,
माँ खादी की चादर दे दे मैगाँधी बन जाऊंगा
घड़ी कमर में लटकाऊंगा सैर सबेरे कराऊंगा ,
मुझे रुई की पोनी लादे तकली खूब चलाऊंगा,
माँ खादी की चादर दे दे मैगाँधी बन जाऊंगा
गाँव में ही रहा करूँगा भले कम में किया करउगा ,
- - - - - - - - - - - -'' '' - - - - - -- - -- - - - -,
माँ खादी की चादर दे दे मैगाँधी बन जाऊंगा

11 comments:

  1. बचपन मैंने जो कविता पढ़ी थी उसे ढूंढते हुए आज सफल हुआ बहुत से साइटों मे खोजने के बाद । कविता के लिए धन्यवाद।

    ReplyDelete
  2. sahi kaha apne .apka
    धन्यवाद karta hu

    ReplyDelete
  3. sahi kaha apne .apka
    धन्यवाद karta hu

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर
    धन्यवाद ��

    ReplyDelete
  5. This poem was recited by me on 15 August 1993 in Doon International School Dehra dun when I was in 5th Std ....... Really I was a wonderful experience... Miss school days...

    ReplyDelete
  6. Thank you very much for sharing

    ReplyDelete
  7. Replies
    1. Ya who is the writer of this poem pl tell

      Delete
  8. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  9. Thank you very much for sharing.

    ReplyDelete